
चुनरी हरी उढानी है
विवेक रंजन श्रीवास्तव
रोप पोस कर पौधे, अनगिन हरे भरे
अपनी जमीं को चूनर, हरी ओढ़ानी है
होंगे संकल्प सारे हमारे फलीभूत
हम प्रयास... आगे पढ़े

वक्त बहुत गुजारा मैनें...
वक्त बहुत गुजारा मैनें, खो दिया वो समय कुछ ही क्षण मे|
वक्त का कैहर देखो मुझपर क्षण क्षण भारी सा... आगे पढ़े

ये सितारों से भरा आसमा इतना खमोश क्यों है,
ये सितारों से भरा आसमा इतना खमोश क्यों है,
ये चाँद सा चेहरा इतना खमोश क्यों है ।
तेरी चँचलता दिखती है... आगे पढ़े

"हाॅर्न धीरे बजाओ मेरा 'देश' सो रहा है"...!!!
एक ट्रक के पीछे लिखी
ये पंक्ति झकझोर गई...!!
"हाॅर्न धीरे बजाओ मेरा 'देश' सो रहा है"...!!!
उस पर एक कविता इस प्रकार... आगे पढ़े

शिकायत करूँ तुझसे या तेरा शुक्रिया करूँ
शिकायत करूँ तुझसे या तेरा शुक्रिया करूँ।
कभी आसमां दिखा देता है,और कभी जमी पर गिरा देता है।
अकसर ये तेरी इनायत... आगे पढ़े

काशी के चंदन में है मदीने की वो खुशबू।
काशी के चंदन में है
मदीने की वो खुशबू।
दुनिया की हर रौनक को
मैं नाम तुम्हारे कर दूं।
वो मुट्ठी भर उम्मीदें
वो गहरे... आगे पढ़े